Nation celebrates Vijay Diwas today 2019: सिर्फ 13 दिनों में भारतीय जांबाजों ने पाकिस्तान को घुटने टेकने पर किया था मजबूर…
Vijay Diwas today 2019: 16 दिसम्बर 1971 यानि आज का दिन भारत के लिए विजय दिवस कहलाता है। वर्तमान समय में ज्यादातर लोगों को इसकी जानकारी नहीं होगी, लेकिन आज देश के लिए वो दिन है जिसपर हर भारतीय को गर्व महसूस होता रहेगा। यह वही तारीख जब भारत और पाकिस्तान युद्ध में भारत की सबसे बड़ी जीत हुई थी। 3 दिसंबर को पाकिस्तान ने भारत के 11 एयरफील्ड्स पर हमला किया था। इसके बाद यह युद्ध शुरू हुआ और महज 13 दिन में भारतीय जांबाजों ने पाकिस्तान को खदेड़ दिया था। इस युद्ध में भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना को धूल चटा दिया था। इस दौरान भारत ने करीब 1 लाख युद्ध के कैदी पकड़े थे और बांग्लादेश को पाकिस्तान से आजाद करा दिया था। इसके बाद एक नया देश, बांग्लादेश बना। भारत में हर साल 16 दिसंबर का दिन विजय दिवस का रूप में मनाया जाता है।

1971 के पहले बांग्लादेश, पाकिस्तान का एक हिस्सा था जिसको ‘पूर्वी पाकिस्तान’ कहते थे। वर्तमान पाकिस्तान को ‘पश्चिमी पाकिस्तान’ कहते थे। कई सालों के संघर्ष और पाकिस्तान की सेना के अत्याचार के विरोध में ‘पूर्वी पाकिस्तान’ के लोग सड़कों पर उतर आए थे। लोगों के साथ मारपीट, शोषण, महिलाओं के साथ बलात्कार और खून-खराबा लगातार बढ़ रहा था। इस जुल्म के खिलाफ भारत बांग्लादेशियों के बचाव में उतर आया।
93000 पाकिस्तानियों ने किया था आत्मसमर्पण
वर्ष 1971 में हुए इस भारत-पाक युद्ध में पाकिस्तानी सेना पराजित हुई थी और 16 दिसंबर 1971 को ढाका में 93000 पाकिस्तानी सैनिकों ने आत्मसमर्पण कर दिया था। इस युद्ध के 12 दिनों में अनेक भारतीय जवान शहीद हुए और हजारों घायल हो गए। पाक सेना का नेतृत्व कर रहे लेफ्टिनेंट जनरल एके नियाजी ने अपने 93 हजार सैनिकों के साथ भारतीय सेना के कमांडर ले. जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के सामने आत्मसमर्पण कर हार स्वीकार की थी।
3,900 भारतीय जवान इस जंग में हुए थे शहीद
भारत-पाक युद्ध के समय जनरल सैम मानेकशॉ भारतीय सेना के प्रमुख थे। इस जंग के बाद बांग्लादेश के रूप में विश्व मानचित्र पर नये देश का उदय हुआ। तक़रीबन 3,900 भारतीय जवान इस जंग में शहीद हुए और 9,851 जवान घायल हुए। एक समय था जब पाकिस्तान पर मिली इस जीत के दिन यानी 16 दिसंबर को देश भर में प्रभातफेरियां निकाली जाती थीं और जश्न का माहौल रहता था, जबकि वर्तमान समय में ऐसा नहीं देखने को नहीं मिलता है।
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